बिखरते देखा है उसे जो आसमान की ओर बढ़ा
टूटते देखा उसे भी जो तारों से जा मिला
नहीं मिलती किसी को भी पूरी पूरी ज़िंदगी
कुछ ना कुछ तो छुट ही जाता है
कुछ ना कुछ तो रह ही जाता है
बिखरोगे भी टूटोगे भी
और तब जो कुछ बचेगा
वही तुम होगे
मत बनाओ सीमाए अपने लिये
चलने दो जो चल रहा हो
होने दो जो हो रहा हो
हवा का जो रुख हो उसके साथ चलते ही रहो
दूसरी ओर दौडोगे तो थक ही जाओगे
हाँ , बुझ ही जाओगे
जो करना चाहते हो तुम वही करो
पर जिद्दी ना बनो अकडू ना बनो
वरना टूट जाओगे वरना पिस जाओगे
क्यूंकि हर कोई बिखरता है हर कोई पिघलता है हर कोई टूट जाता है...
इसलिए
जिस तरफ हवा का रुख हो उसी तरफ चलना
करना वही जो तेरा दिल करे
पर रुक कर साँस भी ले लेना
कुछ खा लेना, थोडा आराम कर लेना
नहीं कह रहा मैं की अपने सपनो को छोर देना
भागना उनके पीछे भी
पर भागते भागते, जीना ना छोर देना
अपनों को ना खो देना
तस्वीरों को धुंधलाने ना देना
पाना ही हर कुछ नहीं होता
कुछ कुछ दूसरों के लिये भी कर देना
अकेले कहाँ तक चलोगे
कभी कभी इधर उधर भी झांक लेना
ज़रूर करना तुम अपने सपनो को पूरा
पर
ए दोस्त, जिद्द ना करना...
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