04 August, 2017

लेखक ढूंड रहा हूँ !

लेखक ढूंड  रहा हूँ !
१.
 सुना था लेखक सस्ते है |
तो मिलते क्यूँ नहीं ?

सुना था  लेखक  हर चाय की दूकान पर पड़े रहते है |
तो दीखते क्यूँ नहीं ?

सुना था सब्ज़ी से सस्ती कहानियाँ मिल रही है आज कल |
तो सुनाई क्यूँ नहीं देती ?

सुना था फेसबुक ट्वीटर लेखकों से भरा पड़ा है |
तो मेरे फीड पर क्यूँ नहीं दीखते ?



लगता है, सुनी सुनाई, अफवाहें ही  होती होंगी |
अगर सच होती तो मुझे मेरा लेखक मिल गया होता |

२.

अगर लेखक सस्ते होते तो प्रेमचंद और शरतचंद हर चौराहे पे मिलते |

अगर लेखक चाय की दुकानों  पर मिलते |
तो चाय पिलाने वाले निर्देशकों की फिल्मों में कहानियाँ होती |

अगर कहानियाँ सब्जियों से सस्ती होती,
तो आप खाने के साथ अच्छे धारावाहिक देख रहे होते |

अगर फेसबुक ट्विटर पर लेखक मिलते,
तो मेरी न्यूज़ फीड भडासों और गालियों से नहीं भरी होती |

३.
बात वही की वही पहुच गयी की मैं लेखक ढूंड रहा हूँ |

देखो न तुम,अपने अन्दर!!!

शायद मुझे मेरा लेखक मिल जाये |
कुछ दिखा???
अगर मैला लगे दिल तो पोछ लेना |

लेखक साफ़ सफाई में मिलते है |

कुछ और दिखा???
मन की चादर अगर मैली लगे तो उसे भी साफ़ कर लेना |

लेखक साफ़ चादर पर लेट सपने देखा करते है |

मन और दिल साफ़ हो जाये तो शायद लेखक मिल जाये हमें |

क्यूंकि लेखक कोर्ट का जज नहीं हो सकता |
किसी कमज़ोर या मज़बूत का वकील नहीं हो सकता |
एक भ्रष्ट या इमानदार नेता नहीं हो सकता |
पारो का देव भी नहीं हो सकता |

लेखक कुछ भी नहीं हो सकता |
वो केवल समाज का दर्पण ही हो सकता है |
किसी धर्म का गुरु या स्कूल का अद्यापक नहीं हो सकता |
दुसरो को ज्ञान बाटने वाला बोर नहीं हो सकता |
कपड़ों की लम्बाई पर तंज कसने वाला लोफर नहीं हो सकता |

उसका अपना कुछ भी नहीं हो सकता |

कही दिखे ऐसा कोई लेखक तो बताना |
बहुत दिनों से एक लेखक ढूंड रहा हूँ|
बाहर न मिले तो अपने दर्पण को साफ़ करते रहना |

शायद तुम ही वो लेखक हो|
जिसे मैं ढूंड रहा हूँ |
जब दर्पण की धुन्ध्लाहत साफ़ हो जाये तो बता देना |

कब से लेखक ढूंड रहा हूँ|
अरसा हुआ एक अच्छी कहानी पढ़े|

- सा





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